माँ और मैं
माँ और मैं
तेरे आँचल में दुबक के,
सिसक के रोया था में।
तेरे दामन की छाँव में,
मीठी नींद सोया था में।
ना जाने किस
मिट्टी की बनी है तू माँ,
तेरे प्यार में, लगाव में
कोई कमी नहीं थी,
जब शांत ठेहरा कब्र
में सोया था मैं।
ना जाने तेरी ममता में
कैसा जादू है,
चमत्कार ही कर गया,
और शायद यह चमत्कार
पहली बार हुआ है,
कि एक मुर्दे कि बंद आँखों को भी
यह नम कर गया।।