लफ्ज़
लफ्ज़
तेरे आने की आहटें ही इतनी बेचैन करती है, की
लफ्ज़ मिलते ही नहीं, जब भी तू करीब होता है।
तेरे होने का एहसास ही, ऐसा है कि
मुझे कुछ याद ही नहीं रहता तेरे पास होने से।
लफ्ज़ मिलते ही नहीं, जब भी तू करीब होता है।
तेरी आँखों की चमक, तेरी मंद - मंद मुस्कान,
मुझे इस कदर मोहित कर जाती है, कि
फिर दिल सब कुछ भूल जाता है।
लफ्ज़ मिलते ही नहीं, जब भी तू करीब होता है।