STORYMIRROR

Ankit Tripathi

Abstract

3  

Ankit Tripathi

Abstract

लोंगो की नजर में हम आने लगे है

लोंगो की नजर में हम आने लगे है

1 min
223

खुद को आईने की तरह आजमाने लगे हैं

अब लोगों की नजर में हम आने लगे हैं।


खोजता हूँ खुद को जहाँ भटके थे हम

हमें खुद को खोजने में जमाने लगे हैं।


उसे पाया भी नहीं और खो भी दिया हमने,

इश्क में हमारे भी होश ठिकाने लगे हैं।


बदनसीबी का आलम कुछ ऐसा है अंकित,

सारे दोस्त भी हमें छोड़कर जाने लगे हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract