STORYMIRROR

Umesh Shukla

Abstract

4  

Umesh Shukla

Abstract

लोकतंत्र

लोकतंत्र

1 min
417


लोकतंत्र में लंबा नहीं चला कभी

किसी दल का मिथ्या अभिमान

जनता ने मगरूर राजनेताओं को

दिखा दिया उनका वाजिब स्थान

भारत के मतदाता भी दुनिया को

फैसलों से बता चुके हैं कई बार

जनाकांक्षाओं को कोई दल बहुत

देर तक सकता नहीं यहां टार

जो राजनीतिक दल सत्ता मद में

हो गया जन सरोकारों से कभी दूर

जनता ने चुनावी समर में पटककर

दूर कर दिया उसका सारा गुरूर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract