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Umesh Shukla

Abstract

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Umesh Shukla

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लोकतंत्र

लोकतंत्र

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लोकतंत्र में लंबा नहीं चला कभी

किसी दल का मिथ्या अभिमान

जनता ने मगरूर राजनेताओं को

दिखा दिया उनका वाजिब स्थान

भारत के मतदाता भी दुनिया को

फैसलों से बता चुके हैं कई बार

जनाकांक्षाओं को कोई दल बहुत

देर तक सकता नहीं यहां टार

जो राजनीतिक दल सत्ता मद में

हो गया जन सरोकारों से कभी दूर

जनता ने चुनावी समर में पटककर

दूर कर दिया उसका सारा गुरूर।


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