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Shalini Mishra Tiwari

Abstract

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Shalini Mishra Tiwari

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लोक व्यवहार नेग रिवाज़

लोक व्यवहार नेग रिवाज़

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जग की रीति न जानू

लोक-लाज न जानूं ।


जो है मन में बोल दिया,

लाज का घूंघट खोल दिया।

न समझा क्या होगा असर,

सबकुछ सबमें तोल दिया।।


नेग चार क्या न जानूं

लोक-लाज न जानूं ।


लोक-व्यवहार कुछ सीखा नहीं,

रीति-रिवाज कुछ सीखा नहीं।

तरूणाई सी बगिया में,

प्रेम भाव सा सरीखा नहीं।।


मन-भाव जनों का न जानूं

लोक-लाज न जानूं ।



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