लोक चिंतन
लोक चिंतन
लोक चिंतन पत्रिका के स्थापना दिवस विशेषांक के लिए
लोक चिंतन की स्थापना
लोक चिंतन को हमेशा सर्वोपरि रखा।
12 वर्ष की अनुपम गाथा है।
समाज की दशा और दिशा को प्रदर्शित करती।
लोक चिंतन की ऐसी कथा है।
लोक चिंतन को हमेशा सर्वोपरि रखा।
शिक्षा, साहित्य ,कला को देकर उच्च शिखर।
भारतीय संस्कृति की गाथा को सदा ही गाया है।
स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देकर,
जन -मन को निरोगी काया का पाठ पढ़ाया है।
लोक चिंतन को हमेशा सर्वोपरि रखा।
पर्यावरण की रक्षा के लिए साहित्यकारों संग कदम उठाएं हैं।
समाज सेवा के लिए जन-जन तक ,
चिंता के विषय पहुंचाएं हैं।
बाल सरंक्षण एवं महिला सशक्तिकरण को लेकर प्रशासन तक,
सुधार के सत्याग्रह पहुंचाएं हैं।
आजादी का अमृत महोत्सव, लोग चिंतन के साथ
12 सालों की अपनी यात्रा में जन-जन तक,
लोक कल्याण के चिंतन प्रश्न पहुंचाएं हैं।