लम्स
लम्स
तेरे ख़ामोश तकल्लुम का सहारा हो जाऊँ
तेरा अंदाज़ बदल दूँ , तेरा लहजा हो जाऊँ
तू मेरे लम्स की तासीर से वाक़िफ़ ही नहीं
तुझ को छू लूँ तो, तेरे जिस्म का हिस्सा हो जाऊँ
तेरे चढ़ते हुए दरिया को पशेमाँ कर दूँ
तुझ को पाने के लिए रेत का सहरा हो जाऊँ।

