लिए बैठे हैं
लिए बैठे हैं
बेवफाओं की महफ़िल में प्यार का जाम लीए बैठे हैं
बंद होठों पर जैसे हमारा नाम लिए बैठे हैं.....
लगता है आज ठान के आये हो घर से नज़रें नहीं मिलाओगे
फिर क्यु आप नज़रें बिछाए बैठे हो ....
महसूस किया तेरा सख्त पहरा है तेरे ही ज़ज्बातों पर
हम भी कोई कम नहीं बस चूप्पी जताए बैठे है....
महफ़िल में बातें बेरुखी की क्या खूब करते हो तुम तो
देखो दिल में झांक के रुमानीयत क्या खूब सजाए बैठे हैं ..
बेवफाओं की महफ़िल में प्यार का जाम लीए बैठे हैं
बंद होठों पर जैसे हमारा नाम लिए बैठे हैं....