लेकर हम जलता चराग चले हैं
लेकर हम जलता चराग चले हैं
लेकर हम जलता चराग चले हैं ।
रोशनी से बचे अंधेरों से छले हैं ।
खुशबू अपनी दूर तक बिखेरते हैं ।
जो फूल बागबां के साए में पले है ।
बुझकर भी चिताओ में आग बाकी रही ।
देखे हमने प्यार में ऐसे भी दिलजले है ।
दौर ए जवानी में ख्वाहिशे जाग गई ।
ये दिल के बीमार भी अजब मनचले है ।
कत्थई आंख की पलकों में कशिश देखी ।
उठे तो सुबह चले झुके तो शाम ढले हैं ।
गुलाब जैसा मासूम दिल है उसका ।
खिलूं और बिखरु ऐसे सपने पले हैं ।
गर उसे छूकर हवा भी गुजर जाए ।
तो देखा है हवाओं की रंगत बदले हैं ।
मुमकिन नहीं तेरा संभलना अब ऐ राज ।
इश्क के नहले पर हुस्न के दहले हैं ।