STORYMIRROR

Kumar Gaurav Vimal

Abstract Romance

4  

Kumar Gaurav Vimal

Abstract Romance

लड़ता हूँ उससे कभी

लड़ता हूँ उससे कभी

1 min
214

लड़ता हूँ उस से कभी

कभी उसे मनाने को,

जाता हुं उस से दूर कभी

कभी उसे पास लाने को,


सताता हूँ उसे कभी

कभी उसे हँसाने को,

सुनता नहीं उसकी कभी

कभी उसे सुनाने को,


चाहता हूँ उस से प्यार कभी

कभी प्यार जताने को,

रूठता हूँ उस से कभी

अपनी अहमियत बताने को,

लड़ता हूँ उस से कभी

कभी उसे मनाने को।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract