लड़के रोते नहीं
लड़के रोते नहीं
लड़का हो या लड़की,
माँ बाप को दोनों प्यारे।
दोनों ही होते कोमल,
दोनों आँखों के तारे।।
खूब रोते बचपन में दोनों,
दोनों ने माँ को सताया।
बिठा पीढ़ी पर नहलाया कभी,
कभी उनका लाड लड़ाया।।
हँसते खेलते दोनों संग,
दोनों ने रंग जमाया।
हुये बड़े तो क्यों लड़कों को,
लड़कियों से अलग बताया।।
आँसू आए गिरने पर तो,
कहे ऐसा क्यों करते हो।
लड़की हो क्या तुम ऐसे,
लड़के होकर जो रोते हो।।
बार बार इस उक्ति ने,
मुझ को कितना सताया।
आया रोना कितनी बार,
पर सबसे मैंने छुपाया।।
लड़का भले हूँ चाहे मैं,
पर दर्द मुझे भी होता है।
हुई नम गर आँख कभी तो,
याद आ जाती उक्ति वही,
कि लड़का कभी नहीं रोता है।
मन लड़का कभी नहीं रोता है।।