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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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लड़का और लड़की

लड़का और लड़की

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एक लड़का है जिस पर बड़ा प्यार आता है,

उसकी बाँतों पे ये दिल अटक सा जाता है.


गुस्से का वो बहुत तेज़ है मगर मेरा हर नखरा उठाता है, 

उसकी अदाओं से मेरा गुस्सा पिघल जाता है...


रोज़ नहीं मिलता मगर मेरे हर एहसास में लिपटा रहता है,

कभी-कभी मेरी आँखों से ख़्वाबों में उतर आता है .


नहीं आता प्यार जताना उसे मगर अपना वादा निभाता है, 

होंठ काँपते से रह जाते हैं वो आँखों से सब कह जाता है....


पत्थर सा अडिग है मगर मेरे आगे सर झुकाता है,

बारिश की तरह मुझपे प्यार बरसा जाता है....


साथी मित्र और भी हैं उसके मगर मुझे ही ख़ास बताता है, 

मेरे रूठ जाने से वो पूरा तमाम बिखर जाता है।


मेरी ख़ुशी को अपने अरमान सा सजाता है, 

मेरी तकलीफ़ में आँसूओं से वो भी भीग जाता है ...


गुस्सा दिलाता है मगर फ़िर माफ़ी से मनाता है,

उसके प्यार की दौलत का खज़ाना भरता जाता है।


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