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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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लाल बत्ती

लाल बत्ती

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यह भागम-भाग ज़िन्दगी तो,चलती है घड़ी सी बिन सुस्ती

अनिवार्य विराम हमें जो मिलें,है उनमें से एक यह लाल बत्ती


गतिशीलता जीवन का दूजा नाम, अर्थ है मौत का पूरा विराम

ज्यादातर रहते व्यस्त बहुत, बस बहुत काम-बस बहुत काम

रत दुनियादारी में रहते, नहीं लेते हैं कभी भी प्रभु का नाम

भौतिक ऐश्वर्य जुटाने में, कर लेते हैं निज जीवन की शाम

खप जाती है पूरी जिंदगी, ढूंढते हैं भौतिक जग की मस्ती

यह भागम भाग ज़िन्दगी तो।


कुछ उत्सव और त्यौहार कई,हममें एक नई ऊर्जा लाते हैं

एक ढर्रे पर घिसटते जीवन को,एक नूतन रंग में रंग जाते हैं

अनुकूलित होते जो समय संग, केवल वे ही आगे बढ़ पाते हैं

जो समझ सके न समय-चक्र, वे पिछड़ते और पछताते हैं

आजीवन ढोते हैं जीवन, सिर धुनते और खोते तन्दुरुस्ती

यह भागम भाग ज़िन्दगी तो।


बस हम सबका यह जीवन तो, अनिश्चितता भरा एक जटिल सफर है

सहयोग भाव के पथिक मिलें तो, आसां बन जाती हर एक डगर है

भावना पनपती नहीं एकदम से, मिले संस्कारों का गहरा असर है

मिल-जुलकर लक्ष्य पूरे होते, और एकला की टूट जाती कमर है

कितने भी झंझा - तूफ़ान मिलें, साहिल पर सुरक्षित होगी कश्ती

यह भागम भाग ज़िन्दगी तो।


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