क्यूँ बहायें ?
क्यूँ बहायें ?
इस बार होली में,
हम जल क्यूँ बहायें ?
कितना अच्छा हो जो,
बिन जल होली मनायें।
होली त्योहार है
पवित्रता और प्रेम के प्रतीक का,
जिसमे रँग हो प्राकृतिक,
और जल हो ज़मीर का।
आओ हम अपने ज़मीर से,
इस बार होली मनायें,
भारत माँ की रक्षा में,
इसे कलंक से बचायें।
जो लोग इस पावन पर्व में ,
धर्मों को लड़वाते हैं,
हम उन्ही देशद्रोहियों की,
चलो होली जलाते हैं।
मल उनपर काले रँग की स्याही,
चलो उनका भी थोड़ा सम्मान करें,
हम बिना अपना ज़मीर बेचे,
उन्हे बिन जल के नीलाम करें।
वो भी याद करेंगे तब,
इस मातृभूमि के दीवानों को,
जो त्योहारों पर भी जाने नहीं देते,
ऐसे देश के गद्दारों को।
