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Roshan Baluni

Inspirational

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Roshan Baluni

Inspirational

क्यों यह आग लगाओगे

क्यों यह आग लगाओगे

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क्यों जंगल-जंगल जलते हैं ?

क्यों लोक-अमंगल करते हैं ?

क्यों हरियाली ये दहक उठी ?

क्यों देवभूमि ये धधक उठी ?

 

फिर क्यों दस्यु बन जाते हो ?

क्यों घर से बेघर करते हो ?

क्यों साँसे तुम हर लेते हो ?

फिर क्यों यह आग लगाते हो ?


तुम खगकुल का रोदन सुन लो

रोदन में दर्दभरी आहट सुन लो

चूजों का नीडों से क्रंदन सुनलो

उस निराकार परब्रह्म से डर लो


क्या नीर-समीर बिना रहलोगे ?

बिन ठंडी छाँव, आतप सहलोगे

क्या मंद-सुंगध-चंदन छू लोगे ?

फिर क्यों तुम आग लगाते हो ?


हे गर्वित, कुण्ठित, दम्भी मानव!

हरी जमीं देती फल सुखदायक

संभल जरा! न बन अधिनायक

संवर्द्धन कर ले ! बन जा नायक


क्षिति जल पावक गगन समीरा

 सो पञ्च-तत्व हैं अतिबलवीरा

कवि "रौशन" कहे संदेश हमारा 

जो जंगल फूँके, हो नाश तिहारा।


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