क्यों निराश?
क्यों निराश?
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क्यों निराश हो?
साथ में बन जाते हैं
हम दो हैं, आओ
एक और एक
बने ग्यारह।।
क्या रुका, क्या झुका
मस्तक उठाओ
आगे देखो
कदमों में जहां सारा
हैं एक और एक
बने ग्यारह।।
आज धूल में मिले
फूल ना ही खिले
पर करें कुछ ऐसा
बने आँखों का तारा
हैं एक और एक
बने ग्यारह।।
तुम क्यों घबराते हो
क्यों नहीं हँसते- गाते हो
हम साथ साथ रहे
कभी लगे हमारा नारा
हैं एक और एक
बने ग्यारह।।