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Dr . Ramen Goswami

Abstract Romance

4.5  

Dr . Ramen Goswami

Abstract Romance

क्या तुम मेरे दुख बनोगे?

क्या तुम मेरे दुख बनोगे?

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क्या तुम मेरे दुख बनोगे?

मैं एक उड़ता हुआ औला बाउल हूं

सूखे बालों में सड़क की धूल

आंखों के नीचे अंधेरा छाया।

वहाँ तुम रात को छूते हो।

क्या तुम मेरे दुख बनोगे?


क्या तुम मेरी सूखी आँखों में आंसू बनोगे?

क्या आधी रात को फोन बज जाएगा?

क्या तुम मेरी सच्ची दोपहर हो?

चुप्पी तोड़ कर

डाकिया के वफादार हाथों में

दरवाजे के टिका लगातार हिलना?

नीले लिफाफे में बंद

उदास कैसे हो?


क्या तुम मेरी खाली छाती हो?

क्या तुम एक आह के लिए तरस रहे होंगे?

कोमल स्पर्श?

थोड़ी परेशानी दो?

इंतज़ार की इस लंबी पीली दोपहर में

यह एक शब्द होगा जिसे नहीं रखा जाएगा?

थोड़ी परेशानी दो?



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