क्या पढ़ लिया था खत में
क्या पढ़ लिया था खत में
कल फिर पढ़ा क्या लिखा था खत में कहिये
हम दोनों ही थे उस दिन उजलत में कहिये
नींद पहले भी कम आती थी
क्या हाल है फुरक़त में कहिये
जो सामने है उसे जी भर देख लो
क्या रखा है दूसरी सूरत में कहिये
पुरानी हैं मगर अब भी खूबसूरत है
कौन रहता था उस इमारत में कहिये
मैं अब ख़ुद नहीं जी सकता कहा चरासाज़ ने
मुझे अब जाने दिया जाए हर्फ़-ए -इनायत में कहिये
कल हाथो की रेखाएँ देखिई आईने को
पूछा क्या लिखा है किस्मत में कहिये
खून लगा था खंजर पे मैं वहीं खड़ा था
आप कुछ दलीलें मेरी हिमायत में कहिये
मोमिन ने वबा कहा काज़मी ने रुसवाई
रखा क्या है फिर इस मोहब्बत में कहिये!