क्या मैं - क्या तू
क्या मैं - क्या तू


बहार ए तबस्सुम से वीरानियों ने पूछा बता तेरा वजूद क्या है ,
तबस्सुम ने कहा तेरे गुज़रते वक़्त से ही मेरी शुरुआत है।
घबरा उठी , झनझना उठी, सुन ये जवाब वीरानियाँ चिल्ला उठी,
मेरा न होना ही तू है तो बता इसमें तेरा क्या है।
तबस्सुम थोड़ा मुस्करायी थी , थोड़ा घबराई ,
दबे होंठों से उसने कुछ यूँ कहा ,
मेरा न होना तू है , तेरा न होना मैं ,
न मैं तुझसे जुदा हूँ न तू मुझसे जुदा ,
पहलू हैं एक सिक्के के ,
तो क्या सिर्फ मैं हूँ, तो क्या सिर्फ तू है .....................