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SARVESH KUMAR MARUT

Inspirational

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SARVESH KUMAR MARUT

Inspirational

क्या करना है ?

क्या करना है ?

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ज़ीवन के चार दिन, तो गुज़रते चलना है

पूर्ण ज़ीवन में कुछ, नेक तो करते जाना है

ज़ीवन तो एक चक्र, जिसे तो चलना है  

इस पथ पर चलते-चलते, हम सभी को जलना है

जन्म लिया जैसा जिसने, पर साथ-साथ चलना है

दुःख ही ज़ीवन है आख़िर, कुछ सुख का क्या करना है?

रास्ते तो विचित्र बड़े हैं, पर सच्चाई से चलना है। 

हरफ़न मौला नहीं बनेंगे, चाहें कर्म रुक-रुक कर करना है।

ज़ीवन हमारा रहा नहीं अब, इसे राष्ट्र समर्पित करना है। 

मेरा ज़ीवन कंगाल सही हो, पर अच्छाई से भरना है।

माना मैं हूँ एक कंकाल सा, लेकिन वज्र सा बनना है। 

लो अब चढ़ चला चिता पर, अब शत्रु से नहीं डरना है।

मैं हूँ-मैं हूँ अब मैं नहीं, मुझे सर्वस्व अर्पित करना है। 

हम हैं इसके देशवासी, और इसी धरा पर मरना है।

चाहे सोओ या उठ जाओ, मुझको इसी के साथ चलना है। 

क्यों बैठे किंकर्त्तव्यविमूढ़?, क्या इसे आलस्य से भरना है? 


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