कविता
कविता
मैंने न्याय की किताबें बहूत पढ़ी है
जिसका सबसे ज्यादा मूल्य कर वो समय की घड़ी है । ।
आज देखो विपदा कैसे आ पड़ी है ।
मेरे सामने मुसीबते कई खड़ी है ।।
मैंने कसम खाई है सदा बोलूंगा किताबी भाषा ।
आवाज़ उठाऊंगा जहा देखूंगा अन्य का तमाशा ।।
लिखूंगा मैं केवल भूखों के मन की आशा ।
दूर करना चाहता हूँ गरीबो की निराशा ।।
मैंने पढा है पूरा संविधान ।
गरीबो को अमीरी दिलाना है मेरा अरमान ।।
पढ़ रहा हूँ मैं शाही फरमान ।
गरीबो को देदो नेताजी सम्मान ।।
नयाधिश की पदवी पर आज बैठे शैतान ।
देवताओ के रूप में आज देखो हैवान ।।
गांधी को गाली देकर नेता जिंदा है ।
नेताओ की इन हरकतों पर पूरा देश शर्मिंदा है ।।
गांधी कोई फरिश्ता है ।
हर कोई भूल गया गांधी और देश का क्या अटूट रिश्ता है ।।
नेहरू को भी गाली मिली है ।
डाकू को ताली मिली है ।।
फूल की जगह काटे खिली है ।
मेरा गीत सुनकर गद्दारो को मिर्ची लगी है ।।
न्यूज़ रिपोर्टर बोल रहे झूठ है ।
नेताओ की नीयत में आज खोट है ।
कुछ लोगो की वजह से लगी लोकतंत्र को चोट है ।
अब जो न्याय कर सके वो सच्ची कोर्ट है । ।
न्यायाधीश भी आज खुद दोषी है ।
अन्याय पर हर किसी की आपराधिक खामोशी है ।।
आज पूरा भारत ही दोषी है ।
गली गली काले धन के कोशी है ।।
मैं देश से भ्र्ष्टाचार मिटाना चाहता हूँ ।
लोगो मे जगरिक्त लाना चाहता हूँ ।।
पर कोई माध्यम नही है इसलिए मन ही मन शर्माता हूँ ।
लेकिन चाहे सूली पर टँग जाऊ ।
चाहे काले पानी की सजा चढ़ जाऊ ।।
मैं बोलूंगा काले धन पर ।
मैं बोलूंगा काले मन पर ।।
कलयुग में सतयुग लाना चाहता हूँ ।
भारत को अशोक ओर पटेल का राज्य मनाना चाहता हूँ । ।
अपने संविधान को बचाना चाहता हूँ ।
राम राज्य फिर से लाना चाहता हूँ ।।
इंदिरा गांधी को फिर से जगाता हूँ मैं ।
महात्मा गांधी को फिर से शासन के लिए मनाता हूँ मैं ।।
मौर्य जैसा राजवंश चाहता हूँ मैं ।
अकबर जैसा देश का नायक चाहता हूँ मैं ।।
मुस्लिम होते हूँए भी अकबर ने ज्वाला देवी पर शीश झुकाया था ।
हिन्दू मुस्लिम का उसने भेद मिटाया था।।
ऐसे ही राजा की चाह रखता हूं मैं ।
अकबर ओर अशोक जैसे राजा की मांग रखता हूं मैं ।।
मैं तुम सब को जागृत करता हूँ ।
मैं किसी से नही डरता हूँ । ।
मौत से मुझे खेलना है ।
अंगारो पर मुझे लेटना है ।।