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Nitin Sharma

Abstract

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Nitin Sharma

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कविता कवि लिखता है या कलम ?

कविता कवि लिखता है या कलम ?

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कविता कवि लिखता है या कलम ? 

कब टूटेगा कविता का यह भ्र्म ?


दोनों में से एक को वो चुन नहीं पाती है, 

शब्दों की सहायता भी काम नहीं आती है, 

स्याही से तो क्या ही पूछे कविता, 

वो तो नीली होकर भी

पत्र पर श्वेत नज़र आती है, 

और पत्र, वो तो अश्वथामा सा श्राप लिये

होकर भी वज़ूद नहीं पाता है।


कवि और कलम की इस कश्मकश में

कविता पिसी सी चली जाती है, 

सब कुछ साथ होके भी खुद को

अलग-थलग पाती है।


सदिओं से चली आ रही

यह महाभारत कविता को

कलयुग के अंध कुँए में ले जाती है, 

इस अंतिम युग में मुरदंग की ध्वनि भी

उसे प्रलय सी समझ आती है।


यह सब बातें अपने ह्रदय में

रखती है कविता, 

किन्तु कभी कभी नभ से भी

छलक जाती हैं।


इसका ओर छोर तारामंडल

जितना जटिल लगता है उसे, 

पर धरा पर होते हुए भी वो

अपनी मासूमियत से ध्रुव बन जाती है, 

ख़ुद के वज़ूद को जानने के इस

चक्रव्यूह में वो ख़ुद को

मृत अभिमन्यु सा पाती है।


काश कविता की माँ होती तो

उसकी गोद में बैठ वो उसे

यह असमंजस बतला पाती, 

वेद पुराण सब पढ़ डाले इसने

पर फिर भी यह भेद पता नहीं कर पाती।


कवि और कलम के इस युद्ध में

कभी कभी वो दोनों को

मित्र सा साथ खड़ा पाती है, 

पर यह विचार सत्य है या भ्र्म, 

यह सोच वो फिर उसी सवाल में घिर जाती है  

कि कविता कवि लिखता है या कलम ?


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