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ritesh deo

Abstract

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कुसुम का पत्र

कुसुम का पत्र

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कुसुम का पत्र संदीप के लिए

प्रिय संदीप,

यह पत्र मैं तुम्हें तुम्हारे नये रेडियो के साथ भेज रही हूँ. मुझे पता है तुम्हें मोबाइल से डिस्ट्रैक्शन होता है और अब तो तुम्हें अपने बगल वाले को भी परेशान नहीं करना पड़ेगा. पापा ने वैसे तो मुझे भी स्मार्ट फोन दिला दिया है लेकिन मैं अब भी विविध-भारती सुनती हूँ. अरे मैं भी कहाँ अपनी बात ले कर शुरू हो गयी. 

“पिछले हफ्ते तुम आए, मिल कर अच्छा लगा, सब कुछ इतना जल्दी हो गया की पता ही नहीं चला. मैं भी तैयार नहीं थी लेकिन पापा-मम्मी ने समाज क्या कहेगा? जवान बेटी घर में बैठा कर रखा है कहकर सगाई कर दी”

तुम जानते हो संदीप पूरा गाँव मुझसे क्या कहता है? और किसी का हो ना हो संदीप भैया का इस बार जरूर ‘UPSC’ निकलेगा, यह कहकर मैं तुम पर कोई दवाब नहीं डालना चाहती बस यह कह रही हूँ की बाकी सब की तरह मुझे भी तुम पर अटूट विश्वास है. तुम्हारा सपना अब मेरा भी सपना है. जो भी करोगे अच्छा करोगे, और ज्यादा मत सोचना हमारा रिश्ता इस अंगूठी से बढ़कर है जो बाकी लोग नहीं समझ पायेंगे और उन्हें समझाना भी क्यूँ.

यह जिंदगी भी तो एक परीक्षा ही है, यही तो कहा था ना तुमने जब हम पहली बार स्टाफ रूम में मिले थे, तुम्हारी वजह से मेरे अंदर काफी बदलाव आ गया है अब मैं भी चीजों को वास्तविक जिंदगी से जोड़कर देखती हूँ, खुद से सवाल करने लगी हूँ.

तुम सही कहते थे “Plan B is for losers” मेरा भी कोई प्लान-बी नहीं है. “मेरे हर प्लान में तुम हो, मै तो ‘संदीप’ से प्यार करती हूँ. फिर चाहे वो स्कूल के बच्चों को पढ़ा रहा हो या कानपुर के जिले का दौरा कर रहा हो”

वैसे उस दिन सगाई में तुम रेड स्वेटर में अच्छे लग रहे थे, फ़ोटो है मेरे पास मैं मेल कर दूंगी. और हाँ अगले साल “टी-20 वर्ल्ड कप 2014” है, इस बार हम दोनों स्टेडियम में चल कर इंडिया का मैच देखेंगे क्योंकि असली मजा तो स्टेडियम में ही आता है।

“अब चलती हूँ, तुम्हारी परीक्षा के लिए शुभकामनाएँ, अपना ध्यान रखना और सिगरेट कम पीना।”

“तुम्हारी 

कुसुम”


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