कुर्सी दौड़
कुर्सी दौड़
घंटी बज गयी
दौड़ शुरू हो गया
सब दौड़ रहे
चारो ओर
बस ललक
कुर्सी
धड़कन तेज देखकर
मन आंख मुहँ में
आ रहा पानी
काश अब बैठूंगा
सपने साकार हो जाएगा
लो बैठ गया कोई
फिर बजेगी घंटी
कोई बाहर न होता
हर राउंड में
हर हथ कंडे
हर राउंड में
बजती है घंटी
हर राउंड में
कोई बार बार
कोई बैठने के आसार
हर राउंड में।
