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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

कुर्सी दौड़

कुर्सी दौड़

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घंटी बज गयी

दौड़ शुरू हो गया

सब दौड़ रहे

चारो ओर

बस ललक


कुर्सी

धड़कन तेज देखकर

मन आंख मुहँ में

आ रहा पानी

काश अब बैठूंगा

सपने साकार हो जाएगा


लो बैठ गया कोई

फिर बजेगी घंटी

कोई बाहर न होता

हर राउंड में

हर हथ कंडे


हर राउंड में

बजती है घंटी

हर राउंड में

कोई बार बार

कोई बैठने के आसार

हर राउंड में।


साहित्याला गुण द्या
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