कुंठित शिक्षा
कुंठित शिक्षा
सरकारी नौकरी पढ़ी लिखी
प्राइवेट नौकरी गंवार होती है
बस आज कल यही धुन
युवाओं पे सवार होती है ।।
यहाँ खुलती है किस्मत एक दो की
बाकी के यहाँ बेरोजगार होते है
प्राइवेट का दामन थामे कैसे
समाज के डर का भार होता
हाँ बस यही डर आज कल
युवाओं पे सवार होती है ।।
मैंने सुना है लोगों को कहते हुऐ
अगर होती योग्यता उसकी
क्या सरकारी नौकरी न करते
बस ऐसे ही शब्दों की भरमार होती है
हाँ बस यही डर आज कल
युवाओं पे सवार होती है।।
पर योग्य पुरूष तुम डरो नहीं
छोड़ दो तुम उस समाज को
जहाँ तुम्हारी दरकार होती है
कर लो प्राइवेट नौकरी
खा लो इज़्ज़त की रोटी
क्योंकि प्राइवेट नौकरी ही
आजकल इमानदार होती है ।।
