कुंठित मानसिकता-
कुंठित मानसिकता-
दोस्तों,
लडकियाँ माल नहीं,
मान होती है,
लडकियाँ सामान नहीं,
सम्मान होती है।
दोस्तों,जिस दिन ये नयी सोच,
हम अपने जहन में उतारेगें,
ये हर दिन होने वाले,बलात्कार,
छेड़छाड़ सब बन्द होने लगेंगे,
तुम कपड़े छोटे मत पहनो,
ये सोच हमारी छोटी है,
जिस दिन ये बडी़ घूरती नजरें,
कपड़ों से हटकर कुछ देखेंगी,
हर वो मासूम लड़की में,तुमको,
अपनी माँ ,बहन,बेटी दिखेगी।
हर पुरूष की चाह कि
सुन्दर लड़की का साथ मिले,
फिर सुन्दरता को क्यूँ,
कपड़ो में तलाशता फिर रहा तू,
सोच ही तेरी तुच्छ है,
कपड़ों को तू दोष न दे,
कपडे तो स्त्री का श्रंगार है,
उसको तू बदनाम न कर,
सोच को तू बदल के देख,
अपने नजरिये को बदल के देख,
कपड़ो से कुछ नहीं होता है,ये
गिरती सोच का नतीजा होता है,
कुंठित मानसिकता भगानी है,
ऐक नयी विकसित सोच जगानी है।
सोच को बडे कपड़ों से ढकना होगा,
देश को बलात्कार मुक्त कराना होगा।
दोस्तों वक्त कम है,जितना दम है लगा दो,
ऐक चिंगारी तुम सुलगा दो,एक मैं,
कुछ लोगों को मैं जगाता हूँ,
कुछ लोंगो को तुम जगा दो।