*** कुमति vs सुमति ***
*** कुमति vs सुमति ***
किसी जंगल में एक वट वृक्ष पर एक मादा पक्षी ने दो सिर वाले पक्षी को जन्म दिया। यह उनके बुढ़आपे की इकलोती औलाद थी। बड़ी खुशी के साथ वे उसका लालन - पालन करने लगे। उसके एक सिर में हमेशा खुराफाति सोच
(अपना पेट्टा भरपूर, बालक - नन्हें सब दूर,
राम - राम जपना, पराया माल अपना,
परायी हंडिया पे मूंछ मुंडवाना etc.)
भरी रहती जबकि
दूसरे सिर में
आप भला तो जग भला ।
सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा
कश्चित् दुःखम अनुभवेत।।
वाली सोच लबा - लब भरी रहती), उनकी माँ ने उनकी समान शिक्षा - दीक्षा, लालन - पालन में कोई कसर नहीं रखी और उनके स्वभाव के अनुसार, उनमें से एक का नाम ' सुमति ' और दूसरे का नाम ' कुमति ' रख दिया। युवा होने पर वे जीवन यापन के लिए घर से निकल पड़े। विश्व - भ्रमण करते समय एक बार रास्ते में उन्हें दो फल दिखाई दिए, एक नारंगी रंग का मधुर -
खुशबुदार, अमृत फल, दूसरा काले रंग का कसैला - बदबूदार विषाक्त फल। सबसे पहले कुमति की नज़र काले फल पर पड़ी। वह उसको खाने की ज़िद करने लगा। (चूंकि भले ही दोनों के मुँह अलग - अलग थे पर पेट तो एक ही था जो दोनों का समान रूप से पोषण कर उनको जिंदा रखता था)।
सुमति ने कहा : देखो उसके पास ही एक और मीठी खुशबू वाला फल पड़ा है, चलो उसे ही खा लेते हैं, बदबूदार विषाक्त फल खाने से दोनों मर सकते हैं, लेकिन कुमति को ये गंवारा ना था, क्यूँकि वो हमेशा सुमति को नीचा दिखाना चाहता था, उसके उल्टा सोचता और करता था। बहुत समझाने के बाद भी वह कुमति उस काले फल पर टूट पड़ा। अंजाम आप सभी जानते हैं। क्या हुआ होगा। यही स्थिति आज कल भारतीय राजनीति की हो रही है। सारा विपक्ष कुमति बन भारत - माता की हत्या करने पर तुला हुआ है । लेकिन इस बार एक बात कुमति के उल्टा हो रही है । इस बार सुमति आत्म - बल कुमति पर भारी पड़ रहा है। और वो कुमति के साथ - साथ अपने आप को भी बचा ले जायेगा। कुमति की गर्दन दबोच कर रखेगा । उसको & उसकी सोच को बाकी शरीर पर हावी नहीं होने देगा। इसी सु म ति के अवतार में
नमो: नारायण अवतरित हुए हैं। भारत - भूमि पर।