कुछ सपने है सुहाने से
कुछ सपने है सुहाने से
कुछ सपने हैं सुहाने से
कुछ सपने हैं सुहाने से
जो होने से रहे
लगते है बने रहेंगे पुराने से
जो अधुरा ना रहने को कहे
हम बंध गये है कूछ उम्मीदों से
जो मजबूरी की बेड़ियाँ लागये
बंध गये हैं बदलाव लाने की किरणों से
जो हर बार माँ का चेहरा याद दिलाए
रास्ते दो और मंजिल मिलेगी
एक के साथ चलने से
या कपट भारी दलदलों
आ फिरसे फँस जाये
इसिलीये डर रही हूँ इन रस्तों से ना
ना एक गलती रास्ते की कांटों सें
मंजिलों तक चुभती रह जाये।
