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Garima Mishra

Abstract

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Garima Mishra

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कुछ रिश्ते

कुछ रिश्ते

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बोलना पड़े जहाँ सोचकर

चले चलो उस रिश्ते को तोड़कर


जहाँ जज़्बात समझे जाएं बातों को तोलकर

आगे बढ़ो ना उन्हें अलविदा बोलकर


बोलो ना अपनी बातों को दिल खोलकर

क्या बिगाड़ लेंगे लोग, तुम्हे बुरा बोलकर


छोड़ो ना लोगों को

जाने दो जिसे जाना है साथ छोड़कर


अगर आना होगा किसी को

तो वक्त लाएगा उन्हें, उनका रुख़ मोड़कर


जहाँ जज़्बात समझे जाए बातों को तोलकर

आगे बढ़ो ना उन्हें अलविदा बोलकर।


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