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Kusum Joshi

Abstract

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Kusum Joshi

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कुछ ख़बर ही नहीं

कुछ ख़बर ही नहीं

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दिन कैसे ढल रहे हैं,

कब रात हो रही है,

कुछ ख़बर ही नहीं है,

ना ख़ुद से बात हो रही है,


तारीख़े बदल रही हैं,

मुझ को कुछ भी पता नहीं,

घड़ी से अब कहाँ ,

कोई मुलाकात हो रही है,


मौसम बदल रहे हैं,

कब बरसात हो रही है,

कुछ ख़बर ही नहीं है,

ना ख़ुद से बात ही रही है,


दिन कैसे ढल रहे हैं,

कब रात हो रही है।।


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