कुछ बाते रह गई...
कुछ बाते रह गई...
कुछ बाते रह गई थी अधूरी ,
ओठों पे आके बह गई सारी ,
दिल में कोई शिकायत ना रही ...
आरजू सांस बनके उतरी सारी...
गहराई भी थी उनकी आँखों में ,
जो आँखों से नम हो के बरसती रही ...
हम तो समाना चाहते उनमें ,
वो किनारे पे खड़ी देखती रही ...
कहे तो क्या कहे उनसे ,
हमारे दिल में अंगड़ाई ख्वाहिश लेती रही ...
मुद्दत से राह देखी उनकी ,
और वो मिले तो अजनबी की तरह जताती रही ...
हमने प्यार के सिवा कुछ ना किया उनसे ,
और वो हमें अपनाने के लिए सोचती रही...
वो कह गये अब ना होगा प्यार दोबारा हमसे ,
और प्यार की खुशबु फिजाओं में घुलती रही ...

