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Manisha Wandhare

Abstract Romance

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Manisha Wandhare

Abstract Romance

कुछ बाते रह गई...

कुछ बाते रह गई...

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कुछ बाते रह गई थी अधूरी ,

ओठों पे आके बह गई सारी ,

दिल में कोई शिकायत ना रही ...

आरजू सांस बनके उतरी सारी...

गहराई भी थी उनकी आँखों में ,

जो आँखों से नम हो के बरसती रही ...

हम तो समाना चाहते उनमें ,

वो किनारे पे खड़ी देखती रही ...

कहे तो क्या कहे उनसे ,

हमारे दिल में अंगड़ाई ख्वाहिश लेती रही ...

मुद्दत से राह देखी उनकी ,

और वो मिले तो अजनबी की तरह जताती रही ...

हमने प्यार के सिवा कुछ ना किया उनसे ,

और वो हमें अपनाने के लिए सोचती रही...

वो कह गये अब ना होगा प्यार दोबारा हमसे ,

और प्यार की खुशबु फिजाओं में घुलती रही ...


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