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Hitesh Vyas

Romance

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Hitesh Vyas

Romance

कुछ अपनी बात मैं कह दूँ, कुछ अपनी बात तू कह दे

कुछ अपनी बात मैं कह दूँ, कुछ अपनी बात तू कह दे

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खामोशी के आलम में सब, हम अपनी बात यूँ कह दें,

कुछ अपनी बात मैं कह दूँ, कुछ अपनी बात तू कह दे।


जो बातें आधी अधरों से, बमुश्किल, न निकल पाए तेरे,

मेरी आँखों में डूबे तेरे नैन, वो सारी गुफ्तगू कह दें।


अपने मिलन के लिए भी तू, गवाह, ज़माने को चाहती है,

तू तो … बन चुकी मेरी, मैं कब तेरा बनू कह दे।


कुछ अपनी बात मैं कह दूँ, कुछ अपनी बात तू कह दे।


जो देखे चाव से मुझ को, तू चुपके से ओ जान ए जां,

दिल अपना तेरे कदमों पे रखूं, और क्या करूँ कह दे।


जो पल भर के लिए तू मुझसे, मंजुल, मिलने को आती है,

वो पल की कितनी कीमत है, उसे कितना गिनूँ कह दे।


तेरे दो होठ मेरे होठों के, जब नज़दीक आते है,

तेरी साँसे मेरी साँसे, मुझे अपनी ही रूह कह दे ।


कुछ अपनी बात मैं कह दूँ, कुछ अपनी बात तू कह दे।

                        


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