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Sandeep Kumar

Abstract

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Sandeep Kumar

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कठपुतली

कठपुतली

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आज के समय में

जो समय को ना पहचाना

वह कठपुतली बनकर

रह जाएगा पूरा जमाना।


दौड़ भाग करते-करते

कभी आएगा रोना

उस वक्त दोष किसी को

ना ऐ दुनिया देना।


बदल रहा है वक्त

बदल रहा है जमाना

संभल के पांव रखना

गड्ढे में ना गिर जाना।


आस्तीन का सांप है दुनिया

केवल दुनिया का ना सुनना

हर कार्य को करने से पहले

स्वविवेक कर लेना।


वक्त वक्त पर बदलना

वक्त को भी पहचानना

ना करना किसी पर विश्वास

पीछे से करता है आघात।


भाई समय को पहचानना

समय के पावंद में चलना

दुख ना होगा कभी

खुश रहोगे हर रोज।


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