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Govind Narayan Sharma

Inspirational

4  

Govind Narayan Sharma

Inspirational

कसमें वादे

कसमें वादे

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4


अपना बनाने की रस्म खास निभाना सीखो,

पहले उसका बनने का संजीदा हुनर सीखो! 


अच्छे ही लगे हमेशा तुम खंजर मारकर के,

फैंसले किए मुझे जिन्दा ही मुर्दा बनाने के!


रहना यूँ तेरे ख्यालों में ये मेरी आदत सी है ,

कोई कहे इश्क़ कोई कहता इबादत सी है! 


तलब ये नहीं कि मैं तुम्हारा हमदर्द हो जाऊँ,

ख़्वाहिश है दुआ बनूँ तेरी क़ुबूल हो जाऊँ !


देख लिया ईमान तेरा ऐ दिल मतलबी मेरे,

रहे तू जिगर में मेरे दिल फिक्र और की तेरे !


मंज़र भी बेनूर थे और फिज़ाएँ बदरंग थी. 

बस तुम याद आए मौसम में रंगिनियां थी !


ग़म हूँ दर्द हूँ साज हूँ तेरी बेजुबां आवाज हूँ,

जो भी हूँ मैं बस तुझ बिन हरदम उदास हूँ!


लफ़्जो की दहलीज पर घायल दिल जुबाँ है,

कोई तन्हाई से कोई महफिल से परेशान हैं! 


अकेले बैठोगे ज़िंदगी के मसले जकड़ लेंगे,

ज़रा सा वक़्त हमें दे दो हम जरा झेल लेंगे !


खुशनशीबी हैं कोई मेरी बात तो करता है,

बुरा कहता है क्या हुआ वो याद तो करता है!


प्रेम के दो मीठे लब्ज़ बोल खरीद लो मुझे,

कीमत पूछो तो पूरी कायनात नीलाम होगी !


हाल पूछ लेने से कौन सा ठीक हो जाता है,

तसल्ली है बेगाने जहाँ में दिलबर हैं कोई!


ये नशा दबदबा ये हुकूमत ये बेशुमार दौलतें,

सब किरदार हैं यहां रूप बदलते मुखोटे हैं!


जिस्म में जान थी तब तलक पूछा नहीं कोई,

सांसे थमने पर कफन हटा देखता हर कोई !


हर दोस्त को दिल के हर राज मत बताओ,

सूना है दोस्तों के भी दोस्त दुश्मन होते है! 


कौन कहता है वक्त दोहराता अपने आप को,

ग़र ये सच है तो मेरा बचपन लोटाये कोई!


होती ज़रुरत अमीर‬ बच्चों को खिलौनों की, 

गरीब तो मिट्टी में भी खुशियाँ खोज लेते है!


मशहूर होने का कोई शौक़ नही मुझे जहाँ में,

अपने ही ठीक से पहचाने भला वो काफ़ी है!



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