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Geetika Kaur

Abstract

2.3  

Geetika Kaur

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कशमकश

कशमकश

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एक ज़िंदगी में

दो जीते हैंं लोग,

एक दिखावे की

दूजी खुद के लिए,

एक-दूजे पर है

दोनों भारी,

कशमकश रहती ये

हरदम जारी।


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