प्रेम क्या होता है ?
प्रेम क्या होता है ?


अक्सर ये सवाल उठता है
कि प्रेम क्या होता है ?
हर कोई एक नई परिभाषा समझाता है,
पाने की चाह प्यार बन गई,
किसी के लिए खूबसूरती मिटने की वजह बन गई,
बातें किसी की दिल का तराना बन गई,
हंसी किसी की जहां बन गई।
फिर भी सवाल उठता है
कि प्रेम क्या होता है ?
साथ किसी का प्यार बन गया,
नखरे किसी के जान बन गए,
शख्सियत किसी की ज़िंदगी बन गई,
आंखें किसी की समन्दर हो गई,
इंतज़ार भी बड़ा प्यारा हो गया।
फिर भी सवाल उठता है
कि ये प्यार क्या होता है ?
यादों में प्यार ढूंढा बहुत,
एहसास से भी प्यार ह
ो गया,
नाम से ही बहुत लगाव हो गया,
जाने ये प्यार क्या होता है ?
जाने ये प्यार क्या होता है ?
दर्द जैसे मरहम बन गया,
शिकायतों का सिलसिला भी थम सा गया,
नम आँखें जैसे श्रृंगार हो गया,
दिल तो अब पत्थर हो गया,
जाने ये प्यार क्या होता है?
संयम रखने का पाठ बन गया,
त्याग का कोई रूप हो गया,
जैसे किसी का सहारा बन गया,
खुद मिले न मिले पर किसी की,
खुशी का ठिकाना बन गया,
जाने ये प्यार क्या होता है ?
दिल का सुकून होता है,
या बेचैन धड़कन होता है,
या रूह का रूह से मिलन होता है,
जाने ये प्यार क्या होता है ?