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अच्युतं केशवं

Inspirational

5.0  

अच्युतं केशवं

Inspirational

कृष्ण गोकुल लौट आओ

कृष्ण गोकुल लौट आओ

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हैं प्रतीक्षारत धरा-आकाश यमुना तट

कुंज कदंब करील 

टेरते हैं हेरते हैं पथ 

शंख रख दो 

चक्र रख दो 

छोड़ दो कुरुक्षेत्र

अब पुनः

गोकुल दिशा में मोड़ दो रथ

इस तरह हो आज नव अथ


गोकुल! 

हाँ, वही गोकुल

जहाँ पर बालपन ने सार पाया

नंद का आंगन

गोदी यशोदा की

जहाँ अवतार ने आकार पाया


नंद बाबा जसुमति मैया! 

हाँ, वही

हाँ, वही वात्सल्य जिनका कंस सम्मुख अड़ गया था

इंद्र का काली घटा सा घोर मद भी

नेह के गोधन शिखर पर झड़ गया था


गोधन! 

हाँ, वही गोधन

जिसके क्षीर से अभिषिक्त मन था

गोप वत्स, गौ वत्स के संग खेल अनगिन

किलकारियों से गूंजता वृंदीय वन था

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वृंदावन! 

हाँ,वही

हाँ, वही ब्रजधाम जिसका नाम

स्वर्ग शोभा को लजाता

जमुन तट पर

बांसुरी वट के तले

कृष्ण का कैशोर्य मधु वंशी बजाता


बांसुरी! 

हाँ, वही वंशी

सहचरी वंशी सखी वंशी

जो कोकिल गीत गाती

मान पाती सिर चढ़ी थी

जिससे स्पृहा तो

प्रेम की परमेश्वरी

श्री राधिका को भी बड़ी थी


राधा! 

हाँ, वही राधा

जिस पर गुरुवर व्यास की भी

लेखनी है मौन

तो फिर मैं अकिंचन कौ


बस अब

शंख रख दो 

चक्र रख दो 

छोड़ दो कुरुक्षेत्र

गोकुल की दिशा में मोड़ दो रथ

इस तरह हो आज नव अथ

कृष्ण गोकुल लौट आओ

कृष्ण गोकुल लौट आओ

कृष्ण गोकुल लौट आओ



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