कर्म करो लगातार
कर्म करो लगातार
कर्म करो आप लगातार
सफलता मिलेगी हरबार
जो रुकोगे पथ के राही
सड़ोगे, बनकर नाला पानी
किसी का न करो, इंतजार
अपनी धुन में चलो लगातार
एक दिन जाओगे फ़लक पार
खुद पर रखो पूरा विश्वास
क्षणिक गम से न हो लाचार
एक दिन जरूर बनोगे नवाब
अपने कर्म को बनाओ तलवार
अधर्म के हो जाये वो आरपार
बन जाओ ऐसे आप महताब
तम का न रहे, नामोनिशान
कर्म करो आप लगातार
पीछे मुड़कर न देखो जनाब
वो ही बनता है, फूल गुलाब
जिसे शूलों में खिलना है याद।
