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Pinkesh Joshi

Romance Tragedy

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Pinkesh Joshi

Romance Tragedy

करे तो क्या करे हम ?

करे तो क्या करे हम ?

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क्या हुआ जो दिल टूट गया,

एक ख्वाब ही था

जो शायद सच ना हुआ....


अब प्रश्न ये हे कि

करे तो क्या करे हम ?

या तो उसके गम में रोते हुए बैठे रहे..

या फिर और एक नया ख्वाब देखे ...


पर न जाने क्यों अब मन नहीं मानता

कहीं ना कहीं अब उसे भी

अब डर लगता है..


ऐसा नहीं की उसे मनाने की

कोशिश नहीं की हमने ....

पर शायद उसने अब तय कर लिया है

हाँ ...अब प्रश्न ये है कि

करे तो क्या करे हम ?


नहीं नहीं हम ना उदास है

ना हमने हिम्मत हारी है...

अब बस इच्छा नहीं रही..


हमने धड़कन से कहा

एक बार फिर से धड़को....

धड़कनों से आवाज़ आयी,

अब ना हो पायेगा...


यह सुनते ही मन बोला

मैं तो शायद राज़ी हो जाऊँ

पर धड़कन को कैसे मनाओगे ....


यह भारी संकट था

और अब प्रश्न ये है कि

करे तो क्या करे हम ?


समझाया बहुत ही धड़कनों को हम ने

पर वह टस से मस ना हुई..

वह सिर्फ इतना बोली ...

जिसके लिए धड़कने की आदत थी ...


वह कैसे बदलूँ..

ऐसे कैसे किसी और के लिए धड़कूँ..

यही प्रश्न मेरा है कि

करे तो क्या करे हम ?


धड़कन की विडंबना में समझा ...

उसके दर्द को मैंने जाना...

शायद वह सही कह रही थी ...


आसान थोड़ी है

ऐसे किसी को भूलना..

पर साहब ये ज़िन्दगी हे..


या तो हँसके या तो रोके

जीना तो पड़ेगी ही ...

पर कैसे मन को मनाये

और धड़कन को समझाये ...


बस इन्हीं उलझनों में

जी रहा हूँ ...

बस यही अब प्रश्न

पूछ रहा हूँ कि

करे तो क्या करे हम।।


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