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संदीप सिंधवाल

Inspirational

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संदीप सिंधवाल

Inspirational

कोराना क़ाल में राखी - दोहावली

कोराना क़ाल में राखी - दोहावली

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कोरोना काल का ये, रक्षाबंधन स्वरूप।

जिंदगी ढूँढता जग, कैद है कहीं कूप।।


बहना देख रही बाट, भाई आय न पास।

कोरोना का काल है, टूटी सबकी आस।।


चीन को दे दी मात, सजा देसी बजार।

अपनों को अपनी राखि, बने आत्माधार।।


सब ही सकुशल चाहिए, बेला मनभावन।

बम भोले की गूंज से, जा रहा है सावन।।


रेशम के धागे बिना, कलाई पड़ी सून।

सात समन्दर पार मैं, बहना रहती दून।।


मन की कबहुं होत है, इच्छा असीम सागर।

त्योहार पे बढ़त जात, कैदी नाहिं गागर।।


दिन आए महीना भी, आए नैया साल।

हर त्योहार सुखद हो, आय न कोविड काल।।



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