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Rupak Kumar Verma

Drama

1.0  

Rupak Kumar Verma

Drama

कोलकाता नगरी और मानसून का मौसम

कोलकाता नगरी और मानसून का मौसम

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बरस पड़ी जब, बारिश की बूंदें,

मिल गई राहत, गरमी से।


सुबह निकला, जब काम पर,

भूल कर छतरी, अपने घर।

भीग कर वापस लौटा,

बारिश की, बूंदों के संग।


तेज हवाओं का झोंका,

काली घनघोर आसमान।

बिजली के, गर्जन के संग,

चलना नहीं था आसान।


फिसलती हुई, सड़कों पर,

भीग रहे थे बदन।

कहीं पानी तो कहीं दलदल,

कहीं गड्ढे तो कहीं समतल।


लिया मानसून का नज़ारा,

बारिश की, बूंदों के संग।


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