कोई क्यों कहेगा तक
कोई क्यों कहेगा तक
कोई क्या कहेगा ।
यह कोई, है कौन ?
क्या हुआ ?
सब हो गए क्यों मौन ?
बचपन से जवानी तक ,
जवानी से बुढ़ापे तक,
इन तीन शब्दों का सामना ,
करता है हर व्यक्ति,
ऐसा सबका है मानना l
जिसे सुनकर ,
कुछ रुक गए ,
कुछ डर गए ,
कुछ आधे रास्ते तक गए ,
कुछ चले ही नहीं ,
बिना समझे, बिना जाने,
बिना इन शब्दों को पहचाने
मूक बनकर कर,
लगे खुद को बचाने ,
अरे ! बदल दो ,
हां ! बदल दो ,
सिर्फ इतना ही करना है,
खुद को अडिग रखना है,
सच्चाई पर, इमानदारी पर,
नैतिकता पर, मानवता पर,
और बदल देना है ,
कोई क्या कहेगा से ,
कोई क्यों कहेगा तक l
कोई क्या कहेगा से ,
कोई क्यों कहेगा तक।