कोई बात ......नहीं
कोई बात ......नहीं
जिदंगी के सवालों पर,
फिर से छिड़ी है।
बहस नई
कैसे कह दूं कि
कोई बात नहीं
कोई बात नहीं।
हर शक्श अपनी लड़ाई में,
मशगूल है ,कुछ इस तरह।
अब हर किसी की बात की,
एक कीमत है होती।
बस दिल को जो सुकून दें
बस ऐसी कोई बात नहीं होती।
इस टीस की,
कोई आवाज़ नहीं होती।
कैसे कह दूं कि
कि कोई बात नहीं
कोई बात नहीं।
