कमल
कमल
आत्ममुग्ध होकर
सरोवर ने
खुद को निहारा
और कहा--
'अहा,कितने कमल हैं
उसके अंक में
धन्य है वह--
सचमुच, धन्य है वह!'
पर कमल
वह तो सरोवर में रहकर भी
सरोवर का नहीं
वह तो है बिल्कुल
तटस्थ, असंग और अस्पर्श्य
मोहतम से दूर
हो अगर जीवन कमल सम
कंज सम हो आचरण
लगे जैसे सब है मेरा
पर सब हो विलग सब से
तो धन्य हो जाए जीवन
तो धन्य बन जाए जीवन ।