STORYMIRROR

Anandbala Sharma

Abstract

3  

Anandbala Sharma

Abstract

कमल

कमल

1 min
170

आत्ममुग्ध होकर 

 सरोवर ने 

 खुद को निहारा 

 और कहा--

 'अहा,कितने कमल हैं

 उसके अंक में 

 धन्य है वह--

 सचमुच, धन्य है वह!'

  पर कमल

 वह तो सरोवर में रहकर भी 

 सरोवर का नहीं 

  वह तो है बिल्कुल 

  तटस्थ, असंग और अस्पर्श्य

 मोहतम से दूर

 हो अगर जीवन कमल सम

 कंज सम हो आचरण 

  लगे जैसे सब है मेरा

 पर सब हो विलग सब से 

 तो धन्य हो जाए जीवन 

 तो धन्य बन जाए जीवन ।

                       



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract