कमजोर नहीं
कमजोर नहीं
मैं जननी हूँ
मैं भगिनी भी
मैं हूँ प्रेयसी
मैं पत्नी भी
मैं शक्ति हूँ
मैं खुद शिव में
मैं हूँ लक्ष्मी
मैं ही हूँ सरस्वती
मैं महादेव के सर वाली गंगा हूँ
मैं पवित्र अलखनंदा भी
मैं हूँ दुर्गा का मनोहर रूप
मैं काली जैसी विराट भी
मैं आवाज़ हूँ विरोध की
मैं दहाड़ हूँ गुलामी में
मैं मनु जैसे तलवार चलाऊं
मैं हाड़ा रानी भी
मैं रहती हूं बन अबला भी
मैं सब सहती भी
मैं खामोश हूँ, कमजोर नहीं।
मैं वो हाथ जो भाग्य बनाये
मैं वो दुआ जो मुक्कमल हो जाये
मैं वो जो आती पहले राम के
मेरे बिन अधूरे घनश्याम भी
मैं हूँ अर्जुन की गांडीव भी
मैं पांचाली का क्रोध बनूँ
मैं बनकर सती लड़ूं यमराज से
मैं माँ बन जाऊँ अनसुईया सी
मैं प्रहार सही तुम्हारे बचपन की
लेकिन जवानी की कायरता
बर्दाश्त नहीं
मैं शांति हूँ लेकिन जंग से
इनकार नहीं
मैं ख़ामोश हूँ कमजोर नहीं।