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Ashish Aggarwal

Inspirational

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Ashish Aggarwal

Inspirational

कमियों में कमी

कमियों में कमी

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दूसरों में खामियां ढूँढने की बुरी आदत तब तक थमी ना थी,
जबतक मालूम ना हुआ कि मेरी कमियों में भी कोई कमी ना थी।

मुजरिम हूँ उन सबका जिनका दिल दुखाया है मैंने जाने-अनजाने,
कोसता रहा जब तक उनके दिल से लेकर आँख तक नमी ना थी।

खुद को सही साबित करने के लिए गलत को सही कहता रहा,
क्यूँ सबक ना सीखा कि मेरी हर बात सही होनी लाज़िमी ना थी।

किसी को बुरा कैसे कहूं जब मैं खुद किसी को अच्छा नहीं लगता,
तभी शायद अच्छे इंसानों से भी मेरी कोई मुलाक़ात जमी ना थी।

आज लड़खड़ा गयी नब्ज की रफ्तार अपनी असलियत जानकार,
पहले कभी दूसरों को दुखी देखके इनमें बहते खून में गमी ना थी।

गुनाह कबूल किए जब अशीश ने आईने के सामने सिर झुका के,
मन तो हल्का हुआ पर पहले कभी रूह हुई इतनी ज़ख़्मी ना थी।


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