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Kalu Singh Bhati

Romance

4  

Kalu Singh Bhati

Romance

कल्पनाओं की दुनियां

कल्पनाओं की दुनियां

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कल्पनाओं की दुनियां में

वो मेरे बहुत पास हैं 

भले हकीकत में कभी

आता ना उसे रास हैं 

याद तो करूंगा ही

जब तक चलती मेरी सांस हैं 

मालूम ना मुझे, उसमें ऐसा क्या खास है 

उसकी यादों में हम

बन गये जिंदा लाश हैं 

पर जो भी हैं हम

उसकी सुनहरी यादों

में बिंदास हैं

मैं करता हूं, उसकी फिक्र

फिर भी वो कहती बकवास हैं

देख लेती एक पल मुझसा

बनकर पिघलेगी

ना रह पाएगी

पत्थर बनकर 

वो पिघलकर दुनिया को

भी प्यार का पाठ पढ़ाती

टूटती वो ड़ोर कभी ना

जैसे जलती दिया और बाती।


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