मानवता बनाम दानवता
मानवता बनाम दानवता
बदली है दुनियादारी ,
बदल गया है जमाना ।
जातिवाद में पड़कर तू ,
भुल गया है कमाना।।
ऊंच-नीच छूआछूत , यह
क्या है फ़साना।
तू भी तो मानव है.
जाकर मानवता जगाना ।।
शुद्रों को अधिकार नहीं
यह कैसा है तेरा बहाना ।
जीवों का हितैषी बनकर
कुत्तों को सोफे पर बिठाना ।।
मानव नहीं , दानव हो तुम
तूने दानव पथ ही जाना ।
जानवरों को गले लगाकर
शुद्रों को कुछ ना माना ।।
सर्वधर्मसमभाव चरितार्थ कर तू ,
धारू मेघ सी मिशाल बन तू ।
मल्लीनाथ सा महान बन तू ,
तूने इतिहास कभी ना जाना ।