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Reena Devi

Abstract

5.0  

Reena Devi

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कलमकार

कलमकार

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कलमकार जब कलम उठाकर

साहित्य का निर्माण करता है।

शब्द अर्थ निर्मित काया में

निजभावों से प्राण भरता है।


समाज में फैले कुकृत्यों को

निज रचना से करे उजागर।

चप्पू संग में ना सही वो

कलम से तरे भव सागर।


लड़े लड़ाई अपने दम पर

देशप्रेम का करे इजहार।

वृद्ध बाल हृदय या हो युवा

निज शब्दों से करे झंकार।


पशु पक्षी नद ताल सरिता

वो सब विषयों पर लिखता हो।

रवि शशि धरा खे वृक्ष सभी का

रूप काव्य में दिखता हो।


कलमकार है वही सच्चा

जो सही राह दिखाए।

संतप्त हृदय को शीतल कर

अपना फर्ज निभाए।


पढ़कर जिससे ज्ञान बढ़े

ऐसी उसकी रचना हो।

जो भ्रमित हो मन पाठक पढ़कर

कभी न ऐसी कल्पना हो।


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