कलम का अस्तित्व
कलम का अस्तित्व
मिटा दे मुझे तलवार ऐसा मेरा अस्तित्व नहीं
ना झुके जो मेरे आगे ऐसा कोई अमीर नहीं
मिटा दे किसी की शान यह नहीं हमारी पहचान
जिसने किया मेरा सम्मान वह कहलाया महान
रचाया है हमने सृष्टि का जहां
बनी है हम से आसमान की पहचान
संवारा है भविष्य कितनों का
अमूल्य और बलवान है अस्तित्व हमारा अनोखा
ना मिटा सके कोई आंधी का झोंका
ना झुका पाए पानी बूंदों का
हमारी रेखा ने तकदीरों को रोका
दुर्भाग्य लौट गया बनकर आंधी का झोंका
कलम की ताकत ज्ञानी से पूछो
कर देता है वह जाकर जमीन की धूल को
आसमान से नहीं यह जमीन से पूछो
मुसीबतों से नहीं हौसलों से सीखो
मत होने दो नम आंखों को
मेहनत से अपना भविष्य लिखो
जिस पर हैं हम तैयार सदा
कहते हैं कलम का अस्तित्व मुझको ।
